लेखनी कहानी -15-Jun-2022 उसका यकीन उठ गया

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जो  मेरा  था अब मेरा  नहीं होने वाला, बाग़-ऐ-दिल  फिर  हरा नहीं होने वाला, मैं गर्दे-कारवाँ, वो सबा-ज़मीस्तान दोनों मिल भी जाये तो सेहरा नही होने वाला चिलमन को न लहरा ...

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